सोमवार, 24 मई 2010

ऐतबार की बातें

रंग, खुशबू, बहार की बातें
कीजिए कुछ तो प्यार की बातें ।

उम्र काटी है बेकरारी में
अब तो कीजे करार की बातें ।

आ भी जाओ कि हो चुकी है बहुत
आपके इन्तज़ार की बातें ।

झूठी बातों से दिल नहीं लगता
कुछ करो ऐतबार की बातें ।

बज़्म में देर तक हुई कल तो
हुस्न की और प्यार की बातें ।

ज़िक्रे-‘गुलशन’ हुआ तो होंगी ही
फूल के साथ ख़ार की बातें ।

         -गुलशन मदान

शनिवार, 22 मई 2010

आतंकवाद

बम बारूद और बन्दूक
सोचकर ही
हैरान-सा हो जाता हूँ
लेकिन वह
जो हर रोज
इनके साथ रहता है
अपना जीवन जीता है
कैसे जीता होगा
अँधेरा, अंत और आतंक
जिसके सहचर हैं
दुनिया की मानवता
जिसका निशाना बनी है
जो अंत और आतंक के लिए
अंधेरे का सहारा लेकर
बम, बारूद और बन्दूक के साथ
लालिमा को अपना लक्ष्य बनाकर
आचरण करता है
क्या नाम दूँ उसे
मुल्ला उमर, मसूद अजहर
या फिर
ओसामा-बिन-लादेन
पर , हाँ
जगत उसको
आतंकवाद का नाम देता है॥

-दिनेश शर्मा 

मंगलवार, 11 मई 2010

आ अब लौट चले

मुअन जोदडो से प्राप्त
सिंधु घाटी के अवशेष
मिट्टी की गाडी
कांसे के बर्तन
आभूषण और औजार
जैसी हजारों वस्तुएं
पर
कोई हथियार न मिलना
सिद्ध करता है
शासन की स्वच्छता
तानाशाही का अभाव
सभ्य ,अनुशासित जीवन
एक समृद्ध संस्कृति को
जो आमन्त्रित करती है हमें
छोडकर ऎसी आधुनिकता को
जहाँ है खून-खराबा
हर ओर शोर-शराबा
सब ओर
हर मोड पर
यमराज नजर आता
आदमियों के अथाह समन्दर में
नहीं इन्सान नजर आता
चल लौट चलें
उस और चलें
आ लौट चलें।

 :- दिनेश शर्मा