मंगलवार, 1 जून 2010

बडी होती लडकी

अम्मा
क्या तुमने
कभी घ्यान से देखा है
गुडिया से बिटिया
और बिटिया से
लडकी
और लडकी से
औरत होने की और
बढती अपनी लाडो को

अम्मा
तुम्हारी लाडो तो
सदा से ही
मर मर कर
जीती रही है
मां-बापू के घर में
भाई के लिए
फिर पति के लिए
सास ससुर के लिए
अपने बच्चों के लिए
उसे कब
नसीब हो पाते हैं
लाडो रहने के क्षण

अम्मा
मत दोहराना इतिहास
अपनी लाडो को
रहने देना
लाडो बिटिया लडकी
ताकि वह
बस जी सके
और जीवन रस पी सके।
              
                  -प्रद्युम्न भल्ला

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