अम्मा
क्या तुमने
कभी घ्यान से देखा है
गुडिया से बिटिया
और बिटिया से
लडकी
और लडकी से
औरत होने की और
बढती अपनी लाडो को
अम्मा
तुम्हारी लाडो तो
सदा से ही
मर मर कर
जीती रही है
मां-बापू के घर में
भाई के लिए
फिर पति के लिए
सास ससुर के लिए
अपने बच्चों के लिए
उसे कब
नसीब हो पाते हैं
लाडो रहने के क्षण
लाडो रहने के क्षण
अम्मा
मत दोहराना इतिहास
अपनी लाडो को
रहने देना
लाडो बिटिया लडकी
ताकि वह
बस जी सके
और जीवन रस पी सके।
-प्रद्युम्न भल्ला
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