इस अवसर पर कैथल के प्रसिद्ध हास्य कवि श्री तेजिन्द्र के क्षणिकाएँ
चोट्टी
पत्नी की
चोट्टी गूंथते-गूंथते
वे इस कला में
होशियार हो गए हैं
यानि
चोट्टी के
कलाकार हो गए हैं |
दोस्ती
वह
कुछ इस तरह
दोस्ती निभाता है
सिगरेट खुद पीता है
धुंआ मुझे पिलाता है |
मेजबानी
मेजबानी महंगाई में
निभाई नहीं जाती
चाय पूछी जाती है
पिलाई नहीं जाती ||
-तेजिन्द्र