यह राजपथ है गांव की पगडण्डी नहीं है
साये के लिए राह में तरुवर न मिलेगा
उस खुशनुमा माहौल की है आस मुझे थी
जिस दिन किसी भी हाथ में पत्थर न मिलेगा
इस वक्त संभल जाओगे तो ठीक रहेगा
फिर ज़िंदगी में आपको अवसर न मिलेगा
कुरुक्षेत्र तो मिलेगा हर इक मोड़ पे मगर
संदेश लिए गीता का गिरधर न मिलेगा
चलना संभल संभल के तू राहे-हयात में
रहजन मिलेगे सब तुझे रहबर न मिलेगा
आज़ादियों के जश्न ये बेकार हैं सभी
मुफ़लिस के सर पे जब तलक छप्पर न मिलेगा॥
-गुलशन मदान
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